Friday 8 August 2014

3. सुखकर्ता दुःखहर्ता


3.  सुखकर्ता दुःखहर्ता

सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची |


नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची ॥


सर्वांगी सुंदर उटि शेंदुराची |


कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची ॥ १ ॥





जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती 


हो श्रीमंगलमूर्ती |




दर्शनमात्रें मनकामना पुरती ॥ धृ ॥


रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा |


चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा |


हिरेजडित मुकुट शोभतो बरा |


रूणझुणती नुपुरें चरणीं घागरिया ॥ २ ॥ जय देव...


लंबोदर पीतांबर फणिवरबंधना |


सरळसोंड वक्रतुंड त्रिनयना ॥


दास रामाचा वाट पाहे सदना |


सकंटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवरवंदना ॥ ३ ॥ 


जय देव...

0 comments:

Post a Comment

 
Design by Wordpress Theme | Bloggerized by Free Blogger Templates | free samples without surveys